स्वयंभू शिव हैं कुल्लू के शमशरी महादेव, दो हजार साल पुराना है मंदिर का इतिहास

Shamshari Mahadev Temple

अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की आनी तहसील में चार गढ़ों के गढ़पति शमशरी महादेव (Shamshari Mahadev Temple) का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। आनी तहसील मुख्यालय से लगभग तीन किलोमीटर दूर सैंज-लूहरी-आनी-औट राष्ट्रीय उच्च मार्ग 305 पर स्थित शमशर गांव में बसा यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां भगवान शिव शमशरी स्वरूप में विराजमान हैं। शमशरी महादेव मंदिर का इतिहास लगभग दो हजार साल पुराना है। ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शमशरी महादेव मंदिर में क्षेत्र के लोगों की गहरी आस्था है। पास में मौजूद कमांद गांव का पहला घी आज भी सबसे पहले शमशरी महादेव को ही चढ़ाया जाता है।

शमशरी महादेव मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन समय में शमशर गांव से कुछ दूरी पर स्थित कमांद गांव से एक ग्वाला प्रतिदिन अपने मालिक की दुधारू गाय को चराने शमशर गांव में आता था। शाम के समय जब मालिक गाय का दूध निकालता, तो गाय के थनों में दूध न पाकर ग्वाले को डांटता। एक दिन गाय के मालिक ने ग्वाले का पीछा किया। मालिक ने देखा कि गाय एक पीपल के पेड़ के नीचे अपने थनों से दूध ऐसे डाल रही है जैसे वह किसी शिवलिंग पर दूध चढ़ा रही हो। उसी रात मालिक के सपने में देवता ने दर्शन दिए और कहा कि तुम्हारी गाय रोज मुझे दूध चढ़ाती है। देवता ने मालिक से कहा कि तुम इस ‘शम’ यानी पीपल के पेड़ से नीचे से मेरा भू-लिंग निकालकर उसे पीछे की पहाड़ी पर स्थित गांव में स्थापित करो। दूसरे दिन जब वहां खुदाई की गई तो शिवलिंग के साथ-साथ पांच अन्य मूर्तियां भी निकली। इसके बाद शिवलिंग की स्थापना कर दी गई। इस धार्मिक स्थल को ही शमशरी महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।

उस घटना के बाद से ही शमशरी महादेव पर कमांद गांव की गाय के दूध से बना घी सबसे पहले चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शमशरी महादेव की आज्ञा के बिना क्षेत्र में कोई काम संपन्न नहीं होता है। जब शमशरी महादेव भ्रमण पर निकलते हैं, तब क्षेत्र में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। देवता के हर धार्मिक अनुष्ठान के दौरान इसके कार्यक्षेत्र या दायरे में आने वाले हर घर से कम से कम एक व्यक्ति को प्रतिदिन कार्य में सहयोग देना होता है।

कैसे पहुंचे Shamshari Mahadev Temple

यह प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आनी उपमंडल मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर शमशर गांव में है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 95 किलोमीटर दूर कुल्लू का भुंतर हवाई अड्डा है। सड़क मार्ग से आसानी से शमशरी महादेव मंदिर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। कुल्लू से आनी के लिए बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। वहीं कुल्लू सड़क मार्ग द्वारा प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

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Web Title shamshari-mahadev-temple-in-kullu

(Religious Places from The Himalayan Diary)

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