उत्तराखंड के कमलेश्वर महादेव मंदिर में पूरी रात हाथों में दिया लिए खड़ी रहती हैं महिलाएं

Kamleshwar Mahadev Temple

देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर में भगवान शिव का पौराणिक कमलेश्वर महादेव मंदिर (Kamleshwar Mahadev Temple) है। मध्य हिमालय की तलहटी में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित कमलेश्वर महादेव मंदिर से श्रद्धालुओं की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। यहां स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है और मंदिर से भी प्राचीन है। कहा जाता है कि गोरखाओं ने इस शिवलिंग को खोदकर निकालना चाहा, लेकिन 122 फीट जमीन खोदने के बाद भी जब शिवलिंग नहीं निकला, तो उन्होंने भगवान शिव से क्षमा याचना कर गढ़ढे को वापस भर दिया। मंदिर में भगवान गणेश की सुंदर एवं असामान्य प्रतिमा है। इसमें भगवान गणेश के एक हाथ में कमंडल और गले में सांप लिपटा है। कमलेश्वर महादेव मंदिर का संपूर्ण निर्माण काले पत्थरों से हुआ है, जिसे संरक्षण के लिए रंगा गया है। मंदिर परिसर में शिवलिंग के अलावा भगवान गणेश, शंकराचार्य, सरस्वती गंगा और अन्नपूर्णा की मूर्तियां भी हैं।

मंदिर को लेकर मान्यता है कि असुरों से युद्ध के दौरान भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र प्राप्त करने के लिये भगवान शिव की आराधना की। भगवान विष्णु ने भगवान शिव 1000 फूल अर्पित किए और हर एक फूल के साथ भगवान शिव के 1000 नामों का ध्यान किया। इस दौरान भगवान शिव ने एक फूल को छुपा दिया। जब भगवान विष्णु को पता चला कि एक फूल कम है, तो उन्होंने फूल के बदले अपनी एक आंख (कमल पुष्प) चढ़ाने का निश्चय किया। इस पर भगवान शिव ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान कर दिया। वहीं एक मान्यता के अनुसार भगवान राम ने ब्रह्म हत्या का प्रायश्चित करने के लिए इस स्थान पर भगवान शिव को 1000 फूल अर्पित किए थे। इसलिए इस जगह का नाम कमलेश्वर मंदिर पड़ा।

लोगों का विश्वास है कि जिस दिन भगवान विष्णु ने भगवान शिव से सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था, वह कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष का चौदहवें दिन था। यही कारण है कि यहां हर साल कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान पूरे देश से श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। मान्यता है कि चतुर्दशी पर्व के दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने से नि:संतान दंपति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। चतुर्दशी पर्व के दिन संतान प्राप्ति की इच्छुक महिलाएं रात्रि भर प्रज्वलित दीपक हाथों में लेकर खड़ी रहकर भगवान शिव की स्तुति करती हैं। इस दिन शिवलिंग को 100 व्यजनों का भोग लगाकर मक्खन से ढक दिया जाता है। इसके बाद निसंतान दंपति को अनुष्ठान पूरा करना होता है।

कैसे पहुंचें Kamleshwar Mahadev Temple

भगवान शिव का प्रसिद्ध कमलेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर में है। आप श्रीनगर तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 125 किलोमीटर दूर देहरादून में है, जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 130 किलोमीटर दूर हरिद्वार और लगभग 150 किलोमीटर दूर देहरादून में है। श्रीनगर सड़क मार्ग से उत्तराखंड के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए आपको दिल्ली, हरिद्वार, ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि गंतव्यों से आपको आसानी से बस सेवा मिल जाएगी।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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