हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ अपनी धार्मिक मान्यताओं के कारण भी जाना जाता हैं। यहां ऐसे कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं, जिनके दर्शन करने के लिए देश-दुनिया के अलग-अलग कोनों से लोग हिमाचल पहुंचते हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है शिरगुल महाराज जी का मंदिर। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में सबसे ऊंची चोटी चूड़धार पर्वत पर स्थित पवित्र शिरगुल महाराज मंदिर (Shirgul Maharaj Temple Churdhar) के दर्शन करने के लिए हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। समुद्रतल से करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार पर्वत पर शिरगुल महाराज का मंदिर बना हुआ है। इन्हें सिरमौर और चौपाल का देवता माना जाता है।
मान्यता है कि एक बार चूरू नाम का शिव भक्त अपने पुत्र के साथ यहां दर्शन करने के लिए आया था। इस दौरान बड़े-बड़े पत्थरों के बीच से एक बहुत बड़ा सांप बाहर आया और चूरू व उसके बेटे को मारने के लिए उनकी तरफ दौड़ा। इस दौरान चूरू ने भगवान शिव से अपने और बेटे के प्राण की रक्षा की प्रार्थना की। इसके बाद भगवान भोलेनाथ ने चमत्कार से विशालकाय पत्थर का एक हिस्सा सांप पर जा गिरा, जिससे वह वहीं मर गया। इसके बाद शिवभक्त यहां से घर चले गए। कहते हैं उसके बाद से ही इस जगह का नाम चूड़धार पड़ा और लोगों की श्रद्धा इस मंदिर में और अधिक बढ़ गई। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि चूड़धार पर्वत के साथ लगते क्षेत्र मे हनुमान जी को संजीवनी बूटी मिली थी।
चूड़धार पर्वत पर सदियों पुरानी दो जल की बावड़ियां भी है, जिनका पानी कभी नहीं सूखता है। मान्यता है कि भगवान शिरगुल महादेव यहां पर मानसरोवर से पवित्र जल खुद लाए है। क्षेत्र के किसी भी मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्ती की स्थापना से पहले मूर्ती को यहां के पवित्र जल से स्नान करवाया जाता है। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने हिमालय की यात्रा के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। यहां भगवान शिव की एक विशालकाय प्रतिमा भी बनी हुई है। हर साल गर्मियों के दिनों में चूड़धार की यात्रा शुरू होती है। इस दौरान बड़ी संख्या के श्रद्धालु शिरगुल महाराज के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। बरसात और सर्दियों में यहां जमकर बर्फबारी होती है, जिससे यह चोटी बर्फ से ढक जाती है। यह चोटी ट्रेकिंग के नजरिए से बेहद उपयुक्त है। खूबसूरत वादियों के बीच पैदल सफर का अपना ही मजा है।
कैसे पहुंचे Shirgul Maharaj Temple Churdhar
शिरगुल महाराज जी के मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 20 से 25 किलोमीटर की पैदल यात्रा करना पड़ती है। चूड़धार पहुंचने के दो रास्ते हैं, पहला रास्ता नौराधार से होकर गुजरता है। यहां से चूड़धार की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता सराहन चौपाल का है। यहां से चूड़धार महज 6 किलोमीटर की ही दूरी पर है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा 105 दूर शिमला में और 134 दूर चंड़ीगढ़ में है। एयरपोर्ट से टैक्सी या बस जैसे स्थानीय परिवहन के माध्यम से शेष दूरी को कवर किया जा सकता है। चूड़धार का निकटतम स्टेशन यहां से 100 किलोमीटर दूर कालका रेलवे स्टेशन है।
Himachal के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:
- Shimla से 42 किलोमीटर दूर चैल की खूबसूरत वादियों में बसा है ऐतिहासिक काली टिब्बा मंदिर
- शिमला में कालापत्थर के पास भीड़ से दूर घने जंगल के बीच में है गिरि गंगा का मंदिर
- घने जंगल के आंचल में बसा है प्रसिद्ध माता बाला सुंदरी का मंदिर
Web Title shirgul-maharaj-temple-on-churdhar-peak-in-himachal-pradesh
(Religious Places from The Himalayan Diary)
(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)