देवभूमि उत्तराखंड को प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। इन धार्मिक स्थलों के साथ कई धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई है। उत्तराखंड का प्राचीन और लोकप्रिय धार्मिक स्थल संतला देवी मंदिर (Santala Devi Temple) राजधानी देहरादून से लगभग 15 किलोमीटर दूर हरे घने जंगलों के बीच में सन्तौर नामक जगह पर स्थित है। संतला देवी मंदिर इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के विश्वास का प्रतीक है। इसका बहुत सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है।
संतला देवी मंदिर को शांतला देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। संतला देवी मंदिर, देवी संतला और उनके भाई संतूर को समर्पित है। इस धार्मिक स्थल के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। भक्तों का विश्वास है कि यहां आकर यदि कोई भक्त या श्रद्धालु सच्चे मन से मनोकामना करता है तो उसकी मनोकामना देवी संतला जरुर पूरी करती है। शनिवार को संतला देवी मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस दिन संतला देवी की मूर्ति पत्थर में बदल जाती है।
संतला देवी मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा बहुत ही प्रचलित है। कथा के अनुसार मुगलों से लड़ते-लड़ते जब संतला देवी और उनके भाई को एहसास हुआ कि वे मुगलों से लड़ने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्होंने इसी स्थान पर अपने दोनों हथियार फेंक दिये और प्रार्थना शुरू कर दी। उसी समय चारों ओर दिव्य प्रकाश फैला और वह दोनों पत्थर की मूर्तियों में बदल गये। इसके बाद सन्तौर गढ़ में खुद ब खुद एक मंदिर बन गया। जिस दिन संतला देवी और उनके भाई के पत्थर की मूर्ति में बदलने की घटना हुई थी, वह शनिवार का दिन था। इसलिए इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु संतला देवी मंदिर पहुंचते हैं। संतला देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु देहरादून नगर में टपकेश्वर महादेव मंदिर, लाखामंडल मंदिर और महासू देवता मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें Santala Devi Temple
इस धार्मिक स्थल तक पहुंचने के लिए देहरादून से जैतूनवाला तक बस सेवा उपलब्ध है। जैतूनवाला से बाइक या अन्य हल्के वाहन की मदद से 2 किलोमीटर दूर पंजाबीवाला तक पहुंचा जा सकता है। पंजाबीवाला से श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने के लिए करीब 2 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई चढ़नी होती है। संतला देवी मंदिर से नजदीकी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन देहरादून में स्थित है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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