कांगड़ा में ज्वाली के पास बाथू के मंदिर में पांडवों ने बनाई थी स्वर्ग जाने की सीढ़ियां

Bathu Ki Ladi Temple

खूबसूरत वादियों और बर्फ से ढके पहाड़ों की वजह से लोकप्रिय देवभूमि हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। इन धार्मिक स्थलों में से कई मंदिरों का संबंध प्राचीन काल से रहा है। इन्हीं में से एक बाथू की लड़ी मंदिर (Pandavas Bathu Ki Ladi Temple) है, जो कांगड़ा जिले में स्थित है। ज्वाली कस्बे से करीब आधा घंटे की दूरी पर बाथू की लड़ी मंदिरों का एक समूह है। इसकी खासियत यह है कि यह मंदिर 8 महीने तक पानी के अंदर डूबे रहते हैं और सिर्फ 4 महीने के लिए ही भक्त इनके दर्शन कर पाते हैं। आश्चर्य वाली बात है कि पानी के अंदर रहने के बाद भी इन मंदिरों को नुकसान नहीं होता है। इन मंदिरों की बुनियाद बेहद मजबूत है।

मान्यता है कि इन मंदिरों का निर्माण महाभारत काल में पांडवों ने किया था। उन्होंने अपने अज्ञातवास के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। स्थानीय लोगों के अनुसार पांडवों ने यहीं से स्वर्ग तक जाने के लिए सीढ़ियां बनाने का फैसला किया था। सीढ़ियां बनाने के लिए भगवान कृष्ण ने पांडवों को जो समय दिया था, उस समय में पांडव इस काम को पूरा नहीं कर सके। यहां से कुछ दूर एक पत्थर मौजूद है, जिसे भीम ने फेंका था। लोगों की आस्था है कि इस पत्थर पर कंकड़ मारने से इसमें से खून निकलता है।

इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह से किया गया है कि जब भी सूर्य अस्त होता है, उसकी रोशनी बाथू मंदिर में विराजमान महादेव के चरण छूती है। करीब 5000 वर्ष पुराना यह मंदिर आठ महीने तक महाराणा प्रताप सागर में जलमग्न रहता है। यहां केवल मई और जून में ही दर्शन कर सकते हैं। इस समय यहां जल का स्तर घट जाता है। इन मंदिरों के भीतर आज भी भगवान विष्‍णु, कलि और गणेश भगवान की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस स्थल का नाम बाथू की लड़ी क्यों पड़ा, इसके पीछे भी एक दिलचस्प वजह है। दरअसल यहां बने सभी मंदिर एक खास किस्म के पत्थर से बने हैं, जिन्हें बाथू कहा जाता है। इस स्थल को दूर से देखने पर सभी मंदिर एक माला में पिरोए हुए प्रतीत होते हैं। इसलिए इस खूबसूरत स्थल को बाथू की लड़ी (बाथू की माला) कहा जाता है।

कैसे पहुंचें Pandavas Bathu Ki Ladi Temple

इस अद्भुत मंदिर से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा 65 किलोमीटर दूर कांगड़ा का गग्गल एयरपोर्ट है। हवाई अड्डे से मंदिर आने के लिए सबसे पहले ज्वाली पहुंच सकते हैं, जहां से इस मंदिर की दूरी करीब 35 किलोमीटर की है। ज्वाली में छोटा रेलवे स्टेशन भी है। जवाली से मंदिर जाने के लिए बस मिलती हैं। बस आपको मंदिर से 3 किलोमीटर दूर धमेटा नामक गांव तक पहुंचाती हैं। यहां से मंदिर तक पैदल ही जाना पड़ता है।

Kangra के इन धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:

Web Title pandavas-made-stairs-of-heaven-in-bathu-ki-ladi-temple

(Religious Places from The Himalayan Diary)

(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)

Leave a Reply