अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल के नाम से जाना जाता है मसरूर के इस रॉक टेंपल को

Masroor Rock Cut Temple

भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जिन्हें देखकर हमें ऐसा महसूस होता है कि बस अब यहीं रुक जाएं, इसके आगे कोई सुकून ही नहीं है। यहां आकर मन को शांति मिलती है और हर तनाव को भूल जाते हैं। हिमाचल में एक ऐसा ही मंदिर है, जो 15 चट्टानों को काटकर बना हुआ है। जिसे देखकर आप इस बात पर विश्वास नहीं कर पाएंगे कि क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है। आखिर इतनी अच्छी नक्काशी भी कहीं हो सकती है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित रॉक कट टेंपल (Masroor Rock Cut Temple) है। इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह चट्टानों को काटकर बनाया गया है। आठवीं शताब्दी में बना ये मंदिर महाभारत के पांडवों का रहस्यमयी इतिहास भी अपने अंदर संजोये हुए है। हिमालयन पिरामिड के नाम से मशहूर ये रॉक कट टेंपल अपने आप में एक अनोखा इतिहास समेटे हुए है।

मसरूर मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के दक्षिण में 15 किलोमीटर की दूरी पर एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 8वीं शताब्दी में पत्थर की एक ठोस पहाड़ रूपी चट्टान का प्रयोग करके बनाए गए थे। ऐसी नक्काशी पत्थरों में करना बहुत ही मुश्किल काम होता है। इसे करने के लिए दूर से करीगर लाए गए थे, लेकिन वास्तव में कारीगरी किसने की, इस बारे में आजतक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है। मंदिर की कलाकारी का देखते हूए इन्हें अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल भी कहा जाता है। सदियों से चली आ रही दंत कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रौपदी के लिए बनवाया गया था।

कांगड़ा जिले में चट्टान को काट कर पहाड़ की चोटी पर बने इन मंदिरों को सर्वप्रथम 1913 में एक अंग्रेज एचएल स्टलबर्थ ने खोजा था। मंदिर की वास्तुकला और बारीक की गई नक्काशी किसी भी इतिहास में रूचि रखने वाले व्यक्ति के लिए एक आदर्श स्थल है। बलुआ पत्‍थर को काटकर बनाए गए इस मंदिर को 1905 में आए भूकंप के कारण काफी नुकसान भी हुआ था। मगर इसके बावजूद ये अब भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय संपत्ति के तहत संरक्षण दिया है। मसरूर मंदिर के दर्शन पूरे साल कभी भी कर सकते हैं, लेकिन इसका सबसे सही और उचित समय मार्च से अक्टूबर के महीने का है।

यहां कैसे Masroor Rock Cut Temple

सड़क मार्ग – दिल्ली से कांगड़ा 455 किलोमीटर की दूरी पर है। कांगड़ा आईएसबीटी यहां का निकटतम प्रमुख बस स्टेशन है, जहां से अन्य शहरों के लिए बसें लगी मिलती हैं। मसरूर बस स्टैंड (लाहलपुर) यहां का लोकल बस स्टेंड है, यहां से समय-समय पर मंदिर के लिए बस मिलती हैं।

रेल मार्ग– इसके अलावा पठानकोट रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। पठानकोट से छोटी ट्रेन के माध्यम से नगरोटा सूरियां स्टेशन पहुंचकर भी यहां पहुंचा जा सकता है।

वायु मार्ग – अमृतसर का श्री गुरु राम दास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा यहां से निकटतम प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसके अलावा आप कांगड़ा हवाई अड्डे से भी यहां पहुंच सकते हैं। नई दिल्ली से गग्गल स्थित कांगड़ा हवाई अड्डे के लिए नियमित फ्लाइट मिलती हैं।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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