देवभूमि उत्तराखंड में अनुपम सुंदरता के साथ ही कई आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल भी मौजूद हैं। प्रकृति की गोद में बसे न्याय के देवता महासू देवता का मंदिर (Mahasu Devta Temple) जौनसार बावर के हनोल में है। मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए यह मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर और मसूरी से 156 किलोमीटर की दूरी है। यह मंदिर चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तकट पर है। इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि महासू देवता ने किसी शर्त पर हनोल में स्थित यह मंदिर जीता था । महासू देवता के मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। यह बात आज भी रहस्य है।
महासू देवता मंदिर के बारे में कहा जाता है कि त्यूनी-मोरी रोड पर बना महासू देवता का मंदिर जिस गांव में बना है, उस गांव का नाम हुना भट्ट ब्राह्मण के नाम पर रखा गया है। इससे पहले यह जगह चकरपुर के रूप में जानी जाती थी। पांडव लाक्षाग्रह (लाख का महल) से निकलकर यहां आए थे। हनोल का मंदिर लोगों के लिए तीर्थ स्थान के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर में हमेशा एक ज्योति जलती रहती है, जो दशकों से जल रही है। इसके अलावा मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा भी बहती है, लेकिन वह कहां जाती है और कहां से निकलती है यह कोई नहीं जानता है।
दरअसल महासू देवता एक नहीं चार देवताओं का सामूहिक नाम है और स्थानीय भाषा में महासू शब्द ‘महाशिव’ का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है, जो भगवान शिव के रूप माने जाते हैं। दिलचस्प है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की ओर से नमक भेंट किया जाता है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी, पूरे जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है। वर्तमान में महासू देवता के भक्त मंदिर में न्याय की गुहार लगाते हैं।
कैसे पहुंचें Mahasu Devta Temple
सड़क मार्ग – देहरादून से महासू देवता के मंदिर के लिए तीन रास्तों से पहुंचा जा सकता है। देहरादून, विकासनगर, चकराता, त्यूणी होते हुए हनोल पहुंचने का 188 किलोमीटर का रास्ता है। दूसरा रास्ता देहरादून, मसूरी, नैनबाग, पुरोला, मोरी होते हुए 175 किलोमीटर का मार्ग है। तीसरा रास्ता देहरादून से विकासनगर, छिबरौ डैम, क्वाणू, मिनस, हटाल, त्यूणी होते हुए लगभग 178 किलोमीटर का रास्ता है।
रेल मार्ग – मंदिर के सबसे निकट रेलवे स्टेशन देहरादून है। यहां से मंदिर के लिए बस और टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।
वायु मार्ग – दिल्ली से हवाई जहाज से देहरादून के जौलीग्रांट हवाई अड्डे तक पहुंचा जा सकता है।
Uttarakhand के इन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में भी पढ़ें:
- मां कंसमर्दिनी ने पहले ही कर दी थी कंस की मृत्यु की आकाशवाणी, बिजली बनकर हो गईं थी गायब
- भारत के इस प्रथम गांव में है स्वर्ग की ओर जाने वाला पुल, सरस्वती नदी का है उद्गम स्थल
- ऋषिकेश का प्राचीन स्थल है भरत मंदिर, एकल शालिग्राम से बनी है प्रतिमा
Web Title mahasu-devta-temple-near-chakrata-uttarakhand
(Religious Places from The Himalayan Diary)
(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)