उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर भगवान शिव को समर्पित प्रसिद्द कोटेश्वर महादेव मंदिर (Koteshwar Mahadev Temple) स्थित है। इस मंदिर का निर्माण करीब 14वीं शताब्दी में किया गया था। इसके बाद 16वीं और 17वीं शताब्दी में मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था। कोटेश्वर महादेव मंदिर इस क्षेत्र की आस्था का मुख्य केंद्र है। खासकर श्रावन मास में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। चारधाम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु भी कोटेश्वर महादेव मंदिर में भगवान के दर्शन करने जरूर आते हैं। इस मंदिर को लेकर श्रद्धालुओं की आस्था है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर जो भी संतानहीन दंपत्ति यहां विशेष अनुष्ठान करते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
अलकनंदा नदी के किनारे गुफा के रूप में मौजूद कोटेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि केदारनाथ जाते समय भगवान शिव ने यहां पर साधना की थी। यहां स्थित मूर्ति प्राकृतिक रूप से स्थापित है। यहां पर भगवान शिव के अलावा मां पार्वती, श्री गणेश जी, हनुमान जी और मां दुर्गा की मूर्तियां भी हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां पर एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। यहां पर मंदिर के बाहर बहती अलकनंदा नदी का मनमोहक दृश्य नजर आता है।
मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने भस्मासुर नामक राक्षस से बचने के लिए इस गुफा में शरण ली थी। दरअसल भस्मासुर को यह वरदान प्राप्त था कि वह जिसके भी सिर पर हाथ रखेगा, वह भस्म हो जाएगा। बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके भस्मासुर का संहार करते हुए शिवजी की सहायता की थी। इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि कौरवों की मृत्यु बाद मुक्ति के लिए पांडव जब भगवान शिव को खोज रहे थे, उस दौरान वह इस गुफा में ध्यानावस्था में रहे थे। मान्यता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन करने से पहले कोटेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने से सातों जन्म के पापों से मुक्ति मिलती है।
कैसे पहुंचें Koteshwar Mahadev Temple
यह प्रसिद्द धार्मिक स्थल रुद्रप्रयाग में स्थित है। रुद्रप्रयाग से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 150 किलोमीटर दूर देहरादून में स्थित है, जबकि रुद्रप्रयाग से नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 140 किलोमीटर दूर ऋषिकेश में स्थित है। रुद्रप्रयाग सड़क मार्ग द्वारा प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रुद्रप्रयाग से ऋषिकेश 140 किलोमीटर, हरिद्वार 160 किलोमीटर, टिहरी 112 किलोमीटर और नैनीताल 273 किलोमीटर दूर स्थित है।
Uttarakhand के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:
- महाप्रलय के दौरान केदारनाथ धाम में प्रकट हुई थी दिव्य भीम शिला
- उर्गम घाटी में है पंच केदारों में से एक कल्पेश्वर मंदिर, भगवान शिव की जटाओं की यहां होती है पूजा
- भगवान शिव का अनोखा मंदिर जहां पूरी होती है परिक्रमा, पूजा के बाद गायब हो जाता है चढ़ाया गया जल
Web Title koteshwar-mahadev-temple-in-rudraprayag-uttarakhand
(Religious Places from The Himalayan Diary)
(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)