हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में देहरा के पास परागपुर गांव में व्यास नदी के तट पर श्री कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव का मंदिर (Kalinath Mahakaleshwar Mahadev Temple) है। भगवान शिव और माता काली को समर्पित यह मंदिर धार्मिक आस्था का पवित्र तीर्थ स्थान है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग अपने आप में अद्वितीय है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि इस शिवलिंग में माता काली और भगवान शिव दोनों का वास है। कहा जाता है कि यही वह स्थान है, जहां पर माता काली ने भगवान शिव को पाने के लिए आखिरी बार तपस्या की थी। मंदिर के समीप ही एक श्मशानघाट भी है। यहां पर हिंदू धर्म से जुड़े लोग अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं।
मान्यता है कि असुरों का वध करने के बाद माता काली का क्रोध इतना विकराल हो गया कि संपूर्ण संसार की शक्तियां मिल कर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकीं। ऐसे में भगवान शिव उनके क्रोध को शांत करने के लिए माता काली के पैरों में लेट गए। क्रोध में माता काली ने अनजाने में अपने ही पति भगवान शिव पर पैर रख दिया। अपनी भूल का प्रायश्चित करने के लिए माता काली हजारों वर्षों तक हिमालय में भटकती रही। मान्यता है कि व्यास नदी के तट पर ही महाकाली भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए समाधि में मग्न हो गई थी। तब भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर पापों से मुक्त किया। देहरा में कालीनाथ कालेश्वर महादेव वही स्थान है। यहीं मां काली को शिव प्राप्त हुए थे।
बताया जाता है कि कालीनाथ कालेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग हर साल एक जौ के दाने के बराबर पाताल में धंसता जा रहा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि जिस दिन पूरा शिवलिंग धरती में समा जाएगा, इस दिन कलयुग का अंत हो जाएगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव इस स्थान पर अपने साथ भारत के पांच प्रसिद्ध तीर्थों का जल लेकर आए थे। उस जल को यहां के तालाब में डाला था, जिसे पंचतीर्थी के नाम से जाना जाता है। इसलिए यहां स्नान करने को हरिद्वार स्नान के तुल्य माना गया है। कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर परिसर में कालीनाथ के अलावा राधा-कृष्ण, रुद्र, पांच शिवालय सहित नौ मंदिर तथा 20 मूर्तियां हैं। यहां वैशाख माह की संक्रांति पर पूजा और स्नान का विशेष महत्व है।
कैसे पहुंचें Kalinath Mahakaleshwar Mahadev Temple
यह प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मुख्य नगर परागपुर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा यहां से लगभग 57 किलोमीटर दूर कांगड़ा गगल में स्थित है। यहां से श्रद्धालु बस या कार से कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंच सकते हैं। कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर से नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन लगभग 75 किलोमीटर दूर पठानकोट में स्थित है। पठानकोट से श्रद्धालु छोटी लाइन पर चलने वाली रेलगाड़ी की मदद से गुलेर तक पहुंच सकते हैं। गुलेर से कालीनाथ महाकालेश्वर महादेव मंदिर लगभग 35 किलोमीटर दूर है, देहरा होते हुए आसानी से बस या टेक्सी से यहां तक पहुंचा जा सकता है। पठानकोट रेलवे स्टेशन सभी प्रमुख राज्यों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है। हिमाचल प्रदेश के प्रमुख शहरों से श्रद्धालु सड़क मार्ग द्वारा हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग की बस की मदद से परागपुर तक पहुंच सकते हैं।
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