हिमाचल प्रदेश देवताओं की भूमि है। यहां कई चमत्कारिक धार्मिक स्थल हैं, जिनके बारे में जानकर एक बार में यकीन करना भी मुश्किल है। हिमाचल का ऐसा ही एक धार्मिक स्थल जलाधारी महादेव मंदिर (Jaladhari Mahadev Temple) है। भगवान शिव को समर्पित यह धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के पालमपुर से लगभग 28 किलोमीटर दूर क्यारवां गांव में है। जलाधारी महादेव मंदिर प्राकृतिक गुफा के नीचे स्थित है। जलाधारी महादेव मंदिर में मौजूद शिवलिंग जमीन से काफी ऊंचा है। इस शिवलिंग के ऊपर गाय के थनों के आकार से निरंतर जल बहता रहता है। खास बात यह है कि इस जल का स्वाद दूध से मिलता-जुलता है।
मान्यता है कि प्राचीन समय में इस गुफा के पास श्यामू नाम का युवक अपनी गायों को चराता था। श्यामू बांसुरी की मीठी धुनों से हर किसी का मन मोह लेता था। एक दिन श्यामू एक जानवर को पकड़ने के लिए गुफा के अंदर चला गया और रास्ता भटक गया। गांव के लोग ढूंढ कर थक हार गए, तो उसे मृत समझ बैठे। करीब चार साल बाद श्यामू अचानक गुफा से बाहर आ गया। उसने गांव वालों को बताया कि गुफा में एक महात्मा ने उसे विभूति खाने को दी, जिससे उसकी भूख खत्म हो गई तथा वहां रहने में उसे बड़ा आनंद मिलने लगा। एक दिन जब उसे घर की याद आई तो महात्मा ने उससे कहा कि जिस रास्ते से तुम यहां आए थे, वहां पर मैं शिवलिंग के रूप में प्रकट होऊंगा। मेरे ऊपर दूध की धारा टपकेगी, लेकिन ध्यान रहे कि दूध की धारा को कोई अपवित्र न करे वरना दूध, पानी में बदल जाएगा।
श्यामू को यह आशीर्वाद देकर महात्मा ने उसे बाहर भेज दिया। इसके बाद श्यामू गुफा में रहकर ही पूजा-अर्चना कर भक्ति करने लगा। एक दिन किसी मुसाफिर ने दूध की धारा से खीर बना ली। इसके बाद से यहां दूध की जगह पानी बहने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार पांडवों ने अपने अज्ञातवास वनवास के दौरान यहां समय काटा था। उन्होंने इस स्थान पर तपस्या की थी। जलाधारी महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां हर समय एक गाय घूमती रहती है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की हर तरह की मनोकामना पूरी होती है और यहां का पानी पीने से कई तरह की बीमारियां भी दूर हो जाती हैं। जलाधारी शिव मंदिर के साथ ही अन्य देवी देवताओं के मंदिर भी जहां प्राचीन समय से ही बने हुए हैं।
कैसे पहुंचें Jaladhari Mahadev Temple
जलाधारी महादेव शिव मंदिर पालमपुर से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर है। दुर्गम रास्तों से होकर इस स्थान तक पहुंचा जाता है। रास्ते में विभिन्न प्रकार के झरने व नदियों के दीदार होते हैं। पालमपुर से निकटतम हवाई अड्डा लगभग 38 किलोमीटर दूर कांगड़ा के पास स्थित है, जिसे गग्गल हवाई अड्डा भी कहा जाता है। यह हवाई अड्डा दिल्ली से सीधे जुड़ा हुआ है। पालमपुर से नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन लगभग 112 किलोमीटर दूर पठानकोट में है। यह स्टेशन भारत के कई प्रमुख शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है। पालमपुर से 2 किलोमीटर दूर मारंडा में छोटी लाइन का स्टेशन है। सड़क मार्ग द्वारा भी पालमपुर आसानी से पहुंचा जा सकता है। पालमपुर के लिए मंडी, धर्मशाला, पठानकोट और दिल्ली-चंडीगढ़ जैसे शहरों से निजी और राज्य परिवहन की बसें उपलब्ध हैं।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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