उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खूबसूरत जगह गंगोलीहाट में प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाट कलिका मंदिर (Haat Kalika Temple Gangolihat) है। मान्यता है कि इस सिद्ध पीठ की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी। माना जाता है कि हाट कलिका देवी रणभूमि में गए जवानों की रक्षक करती हैं। गंगोलीहाट से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित मां कलिका देवी मंदिर धार्मिक और पौराणिक दृष्टि से काफी महत्व रखता है। यह मंदिर इस क्षेत्र की लोगों की आस्था का केंद्र है। लोगों का मानना है कि जो भी भक्त माता के दरबार में श्रद्धा पूर्वक पूजा अर्चना करता है, माता उसके रोग, शोक, दरिद्रता व विपदाओं को हर लेती हैं। साल भर यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह ऐतिहासिक मंदिर अपने अंदर अनेक रहस्यमयी कथाओं समेटे हुए है।
प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने महाकाली का शक्तिपीठ स्थापित करने के लिए इस जगह का चयन किया था। आम श्रद्धालुओं के साथ ही यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल भारतीय सेना की एक शाखा कुमाऊं रेजीमेंट की भी आस्था का केंद्र है। इसके पीछे दिलचस्प कहानी है। माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जब भारतीय सैनिकों का जहाज बंगाल की खाड़ी में डूबने लगा तो सभी सैनिक अपने-अपने ईष्ट को याद करने लगे। जैसे ही कुमाऊ के सैनिकों ने हाट कलिका मां का जयकारा लगाया तो जहाज किनारे लग गया। इस वाकये के बाद से ही कुमाऊ रेजिमेंट ने मां काली को अपनी आराध्य देवी की मान्यता दी थी।
इस मंदिर के निर्माण को लेकर भी एक लोकप्रिय कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार जब नागा पंत के महात्मा जंगम बाबा ने रूद्र दंत पंत के साथ मिलकर मंदिर का निर्माण करना चाहा, लेकिन उनके सामने पत्थरों की समस्या आन पड़ी। एक रात उनको सपने में महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती रूपी तीन कन्याओं ने दर्शन दिए और उन्हें बताया कि देवदार वृक्षों के बीच पत्थरों का खजाना है। नींद टूटने के बाद जंगम बाबा अपने शिष्यों के साथ उस स्थान पर पहुंचे तो थोड़ी खुदाई करने के बाद उन्हें वहां संगमरमर से भी बेहतर पत्थरों की खान मिली। आश्चर्य की बात है कि जैसे ही मंदिर, भोग भवन, शिवमंदिर, धर्मशाला एवं मंदिर परिसर का व प्रवेश द्वारों का निर्माण हुआ पत्थरों की खान स्वतः ही समाप्त हो गई। इस मंदिर में शाम को महाआरती के बाद शक्ति के पास महाकाली का बिस्तर लगाया जाता है। जब सुबह बिस्तर को देखा जाता है तो उस पर सलवटें पड़ी रहती हैं मानो यहां साक्षात मां कालिका विश्राम करके गई हों।
कैसे पहुंचे Haat Kalika Temple Gangolihat
मां हाट कलिका का मंदिर गंगोलीहाट में है। गंगोलीहाट से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 405 किलोमीटर दूर देहरादून में है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन लगभग 165 किलोमीटर दूर टनकपुर में है। देहरादून और टनकपुर से बस या टैक्सी की मदद से गंगोलीहाट तक पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से गंगोलीहाट की दूरी लगभग 465 किलोमीटर है। दिल्ली से रुद्रप्रयाग- हल्द्वानी होते हुए आसानी से गंगोलीहाट पहुंचा जा सकता है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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