देवों की धरती कहे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के ऐसे ही एक चमत्कारिक धार्मिक स्थल के बारे में बता रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में खूबसूरत पर्यटन स्थल जंजैहली के निकट विशालकाय चट्टान (Giant Rock Mandi Himachal ) है, जिसे पांडव शिला (Pandav Shila) कहा जाता है। मान्यता है कि इस भारी भरकम चट्टान को पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान निशानी के तौर पर यहां रखा था। कई लोग पांडव शिला को भीम शिला के नाम से भी जानते हैं।
इस चमत्कारिक शिला की खास बात यह है कि इसे सिर्फ एक अंगुली से हिलाया जा सकता है। हालांकि आप इसे एक अंगुली से हिला तो सकते हैं, लेकिन अपने मूल स्थान से हटा नहीं सकते। यहां आज तक कितने ही आंधी तूफान आए, लेकिन यह शिला अपनी जगह से नहीं हटी। इसके अलावा जिस तरह से यह विशालकाय और चमत्कारिक शिला एक छोटी चट्टान पर टिकी हुई है, वह भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है। इस चट्टान के दर्शन करने के लिए हजारों साल से श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
पांडव शिला में कई लोगों की गहरी आस्था भी है। श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए पांडव शिला पर छोटे पत्थर फेंकते हैं। मान्यता है कि श्रद्धालु द्वारा फेंका गया पत्थर अगर पांडव शिला पर ही अटक जाता है तो उसकी मान्यता जरूर पूरी होती है, लेकिन अगर पत्थर चट्टान पर न अटके और नीचे गिर जाए तो श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी नहीं होती है। पांडव शिला को देखने के लिए देसी ही नही बल्कि विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं। लोग यहां आकर पांडव शिला को अपनी अंगुली से हिलाकर इसकी सच्चाई जानने की कोशिश करते हैं।
इस शिला को लेकर एक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार कौरवों से युद्ध करने के बाद अपने पापों से मुक्ति के लिए प्रवास के दौरान पांडव जब इस क्षेत्र में पहुंचे तो वह यहां बैठकर खाना खा रहे थे। इसी दौरान ऊपर पहाड़ी पर बसे गांव से लाश जलाने के लिए लाई गई, जिसे देखकर पांडवों ने खाना छोड़ दिया। उस समय महाबली भीम के हाथ में सत्तू का पेड़ा था, जिसे उन्होंने छोड़ दिया। कहा जाता है कि उसी पेड़े को आज अगर पांडव शिला के नाम से जाना जाता है।
कैसे पहुंचें पांडव शिला
पांडव शिला, जंजैहली घाटी के निकट कुथाह गांव में है। जंजैहली घाटी की मंडी से दूरी लगभग 90 किलोमीटर है। इस दूरी को आप निजी वाहन या बस द्वारा आसानी से तय कर सकते हैं। इसके अलावा आप चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग-21 या फिर पठानकोट-जोगिन्द्रनगर मार्ग द्वारा सुंदरनगर होते हुए भी जंजैहली घाटी तक पहुंच सकते हैं। जंजैहली घाटी से निकटतम हवाई अड्डा 115 किलोमीटर दूर भुंतर में स्थित है। जंजैहली घाटी से नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन लगभग 303 किलोमीटर दूर पठानकोट में है। पठानकोट से पर्यटक छोटे रेल मार्ग द्वारा जोगिन्दर नगर तक पहुंच सकते हैं। जंजैहली घाटी से जोगिन्दर नगर की दूरी लगभग 152 किलोमीटर है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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