हिमाचल प्रदेश में मंडी जिले के पास जोगिंदर नगर से 31 किलोमीटर की दूरी पर चौहार घाटी के प्रसिद्ध आराध्य देव श्री पशाकोट का मंदिर (Dev Pashakot Temple) है। यह ऐसा मंदिर है, जहां हर तीन साल बाद मेले के दौरान देव पशाकोट फटे हुए पत्थर में सांप के रूप में दर्शन देते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की देव पशाकोट हर मुराद पूरी करते हैं। देव पशाकोट के बारे में कथा है कि मराड़ में एक लड़की पशुओं को चराने के लिए जाती थी। वहीं एक सरोवर में जब भी लड़की पानी पीती थी उसे आवाज सुनाई देती थी – गिर जाऊं, गिर जाऊं। एक दिन लड़की ने सारी बात अपनी मां को बताई। उसकी मां ने कहा जब भी ऐसी आवाज आए तो कह देना गिर जाओ। एक दिन जब लड़की ने कहा कि गिर जाओ तभी मूसलाधार बारिश हुई और लड़की वहां से गायब हो गई और पानी में बहते हुए टिक्कन में पहुंच गई। इसी जगह पर नदी के किनारे देव पशाकोट का मंदिर है। यहीं पर कन्या का देव पशाकोट से विवाह हुआ था।
काफी समय बीत जाने के बाद जब लड़की अपनी मां के घर गई, तो सारी बात अपनी मां को बताई। लड़की ने अपनी मां के घर में ही सांपों को जन्म दिया। यह देखकर लड़की की मां डर गई और उसने सांपों को मारना चाहा लेकिन देखते ही देखते वहां से सांप और लड़की गायब हो गए। वह टिकन आ पहुंचे। यहीं पर देव पशाकोट ने सांप का रूप धारण किया। ऐसी मान्यता है कि देव पशाकोट यहीं से सांप का रूप धारण करके नदी से होते हुए ढोल नगाड़े के साथ मराड़ जाते हैं। हर तीन साल में मराड़ मेले का आयोजन किया जाता है। जहां हर घर में से किसी एक सदस्य को मेले में जरूर शामिल होना होता है।
मराड़ में एक फटा हुआ पत्थर है। जिसमें सांप दिखाई देते है। जब पशाकोट मराड़ से नदी में ढोल नगाड़े के साथ टिक्कन वापिस आते हैं, तो स्थानीय लोगों को ढोल नगाड़े की आवाज तो सुनाई देती है लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता। कुछ लोगों को देव पशाकोट सांप के रूप में दर्शन भी देते हैं। इस मंदिर के निर्माण में अन्य मंदिरों के निर्माण कार्य के मुकाबले कहीं अधिक समय लगा था। इस मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि पशाकोट देव का आदेश था कि मंदिर का निर्माण भूखे पेट किया जाए। ऐसे में खाने के बाद इस मंदिर का निर्माण कार्य रोक दिया जाता था। मंदिर का निर्माण काष्ठ कुणी शैली में किया गया है। जिससे इस मंदिर की सुंदरता बढ़ जाती है।
कैसे पहुंचें Dev Pashakot Temple
देव पशाकोट मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पहले हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी तक पहुंचना होगा। हवाई मार्ग से मंडी तक पहुंचने का सीधा रास्ता नहीं हैं। ऐसे में कुल्लू स्थित भुंतर हवाई अड्डे तक पहुंचने के बाद बस या टैक्सी की मदद से मंडी तक पहुंचा जा सकता है। रेल यात्रा की बात करें तो जोगिंदरनगर मंडी के सबसे करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं सड़क मार्ग मंडी तक जाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प है। दिल्ली से आप बस के जरिए आसानी से मंडी तक पहुंच सकते हैं।
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