हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में कल्पा से 11 किलोमीटर की दूरी पर रिकांग-पिओ जाने वाले मार्ग पर कोठी गांव में चंडिका देवी मंदिर (Chandika Devi Temple Kothi) है। इसका एक अन्य नाम शुवांग चंडिका भी है। ऐसा कहा जाता है कि यह देवी किन्नौर की सबसे शक्तिशाली और धन की देवी हैं। मंदिर में बना देवी का विशाल रथ आकर्षण का केंद्र है, जो मंदिर के अंदर रखा हुआ है। जिस पर माता की सोने की प्रतिमा सुसज्जित है।
ऐसा कहा जाता है कि देवी चंडिका बाणासुर के अट्ठारह पुत्र-पुत्रियों में से एक है। बाणासुर ने हिरमा राक्षसी से विवाह किया था। जिसके बाद इन पुत्र व पुत्रियों ने किन्नर प्रदेश को आपस में बांट दिया था। देवी चंडिका ने अपने पराक्रम से इस क्षेत्र में अपना वर्चस्व बना लिया था। वहीं स्थानीय लोग इसे कोष्ठम्पी के नाम से जानते हैं। कोठी को पूरे किन्नौर में चंडिका देवी के कारण प्रसिद्ध माना जाता है।
यह मंदिर सतलुज घाटीय शैली का मिश्रित रूप है। वहीं तल से शिखर तक लकड़ी पर सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। जिसे सुंदर रंगों से सजाया गया है। इसके साथ ही शिखर पर बड़ा गुंबद बना हुआ है। चंडिका मंदिर के दरवाजे के दोनों ओर लघु कक्षों में प्रतिमाएं हैं। इसके दाईं तरफ सूर्य की प्रतिमा है। इसके सामने की ओर किन्नर-कैलाश सामने दिखाई देता है। सूर्योदय के समय पहली किरण इसी प्रतिमा पर पड़ती है।
कैसे पहुंचें Chandika Devi Temple Kothi
कोठी के सबसे नजदीक में शिमला का जुब्बरहट्टी हवाई अड्डा है। यहां तक पहुंचने के लिए दिल्ली, मुंबई आदि से फ्लाइट के जरिए पहुंचा जा सकता है। वहीं ट्रेन से पहुंचने के लिए भी कालका के आगे छोटी लाइन से शिमला पहुंचना होगा। जहां से टैक्सी व स्थानीय वाहनों की मदद से कोठी तक पहुंचा जा सकता है। कोठी तक जाने के लिए सबसे अच्छा विकल्प सड़क मार्ग का है। हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन की मदद से दिल्ली से शिमला, रामपुर, रिकांग पिओ होते हुए कोठी तक पहुंचा जा सकता है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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