हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में माता भद्रकाली का ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है। भलेई भ्राण नामक स्थान पर बसा होने के कारण 500 साल पुराने इस धार्मिक स्थल को भलेई माता मंदिर (Bhalei Mata Temple) के नाम से जाना जाता है। माता के मंदिर में क्षेत्र के स्थानीय लोगों के अलावा दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं। भलेई माता में भक्तों की गहरी आस्था है। भक्तों का विश्वास है कि माता से मांगी गई हर मनोकामना जरूर पूरी होती है। भक्तों की मनोकामना पूरी होगी या नहीं इसका पता भी यहीं चल जाता है। आम दिनों के अलावा नवरात्रि में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। माना जाता है कि भलेई माता मंदिर में 300 साल तक महिलाओं के जाने पर प्रतिबंध था।
भलेई माता मंदिर को लेकर पुजारी का कहना है कि इसी गांव में देवी भद्रकाली प्रकट हुई थी। जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई। मंदिर का निर्माण चंबा के राजा प्रताप सिंह ने करवाया था। कहा जाता है कि एक बार चोर मंदिर में स्थापित माता की प्रतिमा को चुरा ले गए थे। चोर प्रतिमा को लेकर चौहड़ा नामक स्थान तक तो पहुंच गए, लेकिन वह इससे आगे बढ़ते तो अंधे हो जाते। जब वह पीछे मुड़कर देखते तो उन्हें सब कुछ दिखाई देता। इससे डरकर चोर वहीं मां भलेई की प्रतिमा को छोड़कर भाग गए। इसके बाद वापस से माता की प्रतिमा को पूर्ण विधि विधान से मंदिर में स्थापित किया गया। पहले यहां महिलाओं के आने पर प्रतिबंध था, लेकिन एक बार एक महिला भक्त को सपने में माता ने दर्शन दिया और आदेश दिया कि वह मंदिर में जाकर दर्शन करे। इसके बाद से मंदिर में महिलाओं के जाने पर से प्रतिबंध हटा दिया गया।
वर्तमान में सभी लोग बिना किसी तरह के भेदभाव के मंदिर में दर्शन करते हैं। अपने दर्शनों के लिए आने वाले भक्तों की मां इच्छा अवश्य पूरी करती हैं। नवरात्रों के अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होगी या नहीं इसके पीछे एक दिलचस्प प्रथा प्रचलित है। स्थानीय मान्यता के अनुसार मां की मूर्ति पर अगर पसीना आ जाए तो मंदिर में मौजूद सभी भक्तोंं की मनोकामना जरूर पूरी होती है। ऐसे में श्रद्धालु घटों तक मंदिर में बैठकर मूर्ति पर पसीना आने का इंतजार करते हैं। भलेई माता मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। इतने प्राचीन मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है। भलेई माता की चतुर्भुजी मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है। कहा जाता है कि यह मूर्ती खुद से यहां प्रकट हुई थी। माता के बाएं हाथ में खप्पर और दाएं हाथ में त्रिशूल है।
कैसे पहुंचे Bhalei Mata Temple
माता का यह प्रसिद्द धार्मिक स्थान डलहौजी से 35 किलोमीटर, जबकि चंबा से 32 किलोमीटर की दूरी पर है। डलहौजी और चंबा से आसानी से बस अथवा टैक्सी के माध्यम से भलेई माता मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। यहां से नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 100 किलोमीटर दूर पठानकोट में है, जबकि निकटतम गग्गल हवाई अड्डा यहां से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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