3.5 करोड़ रुपये से चमकेगा बगलामुखी मंदिर, दर्शन के लिए आ चुके हैं पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी

Baglamukhi Temple Shaktipeeth

हिमाचल प्रदेश अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ भक्ति भाव के लिए भी जाना जाता है, जिस वजह से हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। हिमाचल शुरुआत से ही देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है। कांगड़ा जिले के बनखंडी गांव में मां श्री बगलामुखी का सिद्ध शक्तिपीठ (Baglamukhi Temple Shaktipeeth) है। बगलामुखी शब्द बगल और मुख से आया है, जिसका मतलब क्रमशः लगाम और चेहरा है। मां बगलामुखी का मंदिर ज्वालामुखी से 22 किलोमीटर दूर बनखंडी नाम की जगह पर है। इस मंदिर को ‘श्री 1008 बगलामुखी बनखंडी मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर का इतिहास (Baglamukhi Temple Kangra History)

ऐसा माना जाता है कि बगलामुखी मंदिर की स्थापना द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में की गई थी, जिसमें सर्वप्रथम अर्जुन और भीम ने युद्ध में शक्ति प्राप्त करने के लिए माता बगलामुखी की विशेष पूजा की गई थी। जिसके बाद यह मंदिर लोगों की आस्था व श्रद्धा का केंद्र बन गया। जो श्रद्धालु ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, नगरकोट इत्यादि के दर्शन के लिए आते हैं, वे सभी इस मंदिर में आकर माता का आशीर्वाद भी प्राप्त करते हैं।

आराधना का महत्व

माता बगलामुखी का दस महाविद्याओं में आठवां स्थान है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। इस देवी की आराधना विशेषकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए की जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता बगलामुखी की आराधना सर्वप्रथम ब्रह्मा एवं विष्णु ने की थी। इसके उपरांत परशुराम ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त करके विजय पाई थी। द्रोणाचार्य, रावण, मेघनाद इत्यादि सभी महायोद्धाओं ने माता बगलामुखी की आराधना करके अनेक युद्ध लड़े। नगरकोट के महाराजा संसार चंद कटोच भी इस मंदिर में आकर माता की आराधना किया करते थे, जिनके आशीर्वाद से उन्होंने कई युद्धों में विजय पाई थी। भारत में मां बगलामुखी के तीन प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं, जिनमें दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) और नलखेड़ा (मध्य प्रदेश) में हैं, जिन्हें सिद्ध पीठ कहा जाता है।

बदलेगा मंदिर का स्वरूप

यह मंदिर काफी पुराना है, जिस वजह से टूरिज्म विभाग ने मंदिर का सर्वे कर इसे संवारने का प्रावधान किया है। इसके लिए देहरा के विधायक होशियार सिंह की अगुवाई में ईको टूरिज्म विभाग के इंजीनियर देवेंद्र चौहान, आर्किटेक्ट सुशील शर्मा, एसडीएम देहरा धनवीर ठाकुर, डीएफओ देहरा राजकुमार डोगरा ने निरीक्षण कर रिपोर्ट तैयार की है। मंदिर को संवारने के लिए साढ़े तीन करोड़ रुपये की राशि दी गई है। जिसके तहत मंदिर में हवन कुंड, सफाई व्यवस्था, धर्मशाला, पार्किंग, रेन शेल्टर, पार्क, स्नानघर, शौचालय, फाउंटेन लगाने का प्रावधान है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और इंदिरा गांधी सहित कई हस्तियां

इस मंदिर की आस्था बहुत पुरानी है। जब प्रणब मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बने, तब वह इस मंदिर में माता के दर्शन के लिए आए थे। वह 40 मिनट तक माता बगलामुखी परिसर में रुके। इससे पहले यहां 1977 में चुनावों में हार के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी मंदिर में पूजा करवाई थी। उसके बाद वह फिर सत्ता में आईं और 1980 में देश की प्रधानमंत्री बनीं। इस मंदिर में हर साल हिमाचल प्रदेश के अलावा देश के विभिन्न राज्यों से लोग आकर अपने कष्टों के निवारण के लिए हवन, पूजा, पाठ करवाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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