प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के लिए उत्तराखंड पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड में कई सारे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मौजूद हैं, इन्ही धार्मिक स्थलों में से एक सेममुखेम नागराज मंदिर (Sem Mukhem Temple) है। भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर प्रदेश के उत्तरकाशी जिले में है। सेममुखेम नागराज मंदिर को उत्तराखंड का पांचवा धाम भी कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह में नागराज की स्वयं भू-शिला है। ये शिला द्वापर युग की बताई जाती है। इस मंदिर का द्वार 14 फुट चौड़ा तथा 27 फुट ऊंचा है। प्रताप नगर तहसील में समुद्र तल से तकरीबन 7000 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर में भगवान कृष्ण के नागराजा स्वरूप के दर्शन होते हैं। मंदिर में स्थापित नागराज फन फैलाये हैं और भगवान कृष्ण नागराज के फन के ऊपर वंशी की धुन में लीन हैं।
लोगों का मानना है कि जब द्वारिका पूरी तरह से डूब गई थी तो भगवान कृष्ण यहां पर नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि मुखेम गांव की स्थापना पांडवों द्वारा की गई थी। मंदिर तक जाने का मार्ग हरियाली और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर है। मंदिर के आसपास मौजूद प्राकृतिक सुंदरता और पहाड़ की चोटियां काफी मनमोहक लगती हैं। सेममुखेम नागराज मंदिर में हर तीन साल में एक बार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। मान्यता है कि एक बार जब भगवान कृष्ण यहां आए तो वह इस जगह की सुंदरता और पवित्रता पर मोहित हो गए। उन्होंने यहां पर रहने का फैसला किया, लेकिन उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी।
ऐसे में उन्होंने यहां के राजा रमोला से इस स्थान पर रहने के लिए जगह मांगी। राजा रमोला भगवान श्री कृष्ण के बहनोई भी थे, मगर राजा रमोला भगवान कृष्ण को खास पसंद नहीं करते थे इसलिए उन्होंने पहले तो भगवान कृष्ण को जगह देने से इंकार कर दिया, लेकिन बाद में ऐसी भूमि दे दी जहां वह अपनी गाय और भैंसों को बांधता था। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने वहां पर मंदिर की स्थापना की थी, जिसे वर्तमान में सेममुखेम नागराज मंदिर के बारे में जाना जाता है। एक दिन नागवंशी राजा के स्वप्न में भगवान श्री कृष्णा आये और उन्होंने अपने यहाँ होने के बारे में बताया। इसके बाद नागवंशी राजा भगवान कृष्ण से मिलने पहुंचे, लेकिन राजा रमोला ने उन्हें अपनी भूमि पर आने से मना कर दिया। इसे नागवंशी राजा क्रोधित हो गए और उन्होंने राजा रमोला पर आक्रमण करने का फैसला किया। हालांकि इससे पहले उन्होंने राजा रमोला कृष्ण के भगवान होने के बारे में बताया। इस पर राजा रमोला को अपने कृत्य पर लज्जा हई।
कैसे पहुंचें Sem Mukhem Temple
इस पवित्र स्थल तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु सड़क मार्ग द्वारा नयी टिहरी होते हुए या उत्तरकाशी होते हुए पहुंच सकते हैं। श्रद्धालु वाहन की मदद से तलबला सेम तक आ सकते हैं उसके बाद लगभग ढाई किलोमीटर का पैदल सफ़र यात्री मंदिर के प्रांगण तक पहुंच सकते हैं। सेममुखेम नागराज मंदिर से नजदीकी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन लगभग 200 किलोमीटर दूर देहरादून में स्थित हैं।
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Web Title historical-sem-mukhem-nagraja-temple-located-uttarkashi-of-uttarakhand
(Religious Places from The Himalayan Diary)
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