अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश को देव भूमि यानी देवताओं की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। यहां के धार्मिक स्थलों के दर्शन करके आपको शास्त्रों और पुराणों में बताई गई कहानियों की सच्चाई का एहसास होने लगेगा। हिमाचल प्रदेश का प्रसिद्ध और प्राचीन धार्मिक स्थल मनु मंदिर (Manu Temple Manali) मनाली में व्यास नदी के किनारे पर बना हुआ है। मनु मंदिर में ऋषि मनु की एक पाषाण मूर्ति है। लोगों की आस्था है कि मंदिर के अंदर ऋषि मनु के पद चिन्ह बने हुए हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि धरती पर कदम रखने के बाद ऋषियों ने सबसे पहले इसी जगह पर ध्यान लगाया था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋषि मनु संसार के पहले मनुष्य थे। मनु के पिता सृष्टि रचयिता भगवान ब्रह्मा जी थे। ऋषि मनु भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। प्रलय काल के दौरान जब संपूर्ण पृथ्वी जल में समा रही थी, उस समय ऋषि मनु ने एक बड़ी नौका तैयार की। अपने भक्त को बचाने के लिए उस समय भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया और ऋषि मनु की नाव को हिमालय की चोटियों पर पहुंचा दिया। प्रलय समाप्त होने के बाद ऋषि मनु ने मनाली में शरण ली थी। ऋषि मनु के कारण ही इस स्थान का नाम मनाली पड़ा। ऋषि मनु ने मनाली से ही सृष्टि को पुनः स्थापित करने का काम शुरू किया था। इसलिए मनाली में सृष्टि के प्रथम मनुष्य की देवता रूप में पूजा होती है। कहा जाता है कि मनु ने अपने जीवन के 7 चक्रों को इसी क्षेत्र में बिताया था, इसी क्षेत्र में 7 जन्म और 7 मृत्यु हुई थी।
मनु मंदिर में स्थित मूर्ति को लेकर एक कथा प्रचलित है कि एक बार धौणाचाणी वंश की एक कन्या के सामने एक ऋषि प्रकट हुए और उन्होंने कन्या से भिक्षा में दूध मांगा। जब कन्या ने दूध देने में असमर्थता प्रकट की तो साधू ने कन्या से एक बछिया को दूहने के लिए कहा। कन्या ने जब ऐसा किया तो दूध निकल आया और जब दूध को दूसरे पात्र में रखा तो वह दही बन गया। यह सब देख कन्या को बहुत आश्चर्य हुआ। जब कन्या ने ऋषि से परिचय पूछा तो ऋषि ने बताया कि मैं मनु हूं और इस क्षेत्र में रहता हूं। इसके बाद ऋषि ने कन्या से कहा कि इस जमीन के नीचे मेरी प्रतिमा है, जिसे निकालकर स्थापित करो। इसके बाद कन्या ने यह बात अपने माता-पिता को बताई और जब जमीन की खुदाई की तो वहां से एक मूर्ति निकली। इसके बाद मूर्ती को मंदिर में स्थापित किया गया। मनु की प्रतिमा के साथ मंदिर में महिषासुरमर्दिनी और भगवान शिव की प्रतिमा है। मंदिर के पीछे देवी और भगवान विष्णु का मंदिर है।
कैसे पहुंचें Manu Temple Manali
मनु ऋषि का प्रसिद्ध मंदिर लेह मनाली मार्ग पर अलेऊ नामक स्थान से ठीक पहले है। हाईवे के साथ जुड़ा होने के कारण यहां पहुंचना आसान है। यहां जाने के लिए मनाली से वाहन आसानी से मिल जाते हैं। मनाली सीधे रूप से हवाई और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं है। यहां से निकटतम हवाई अड्डा 50 किलोमीटर दूर भुंतर कुल्लू में है। भंतुर के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से फ्लाइट मिलती हैं। भुंतर से मनाली के लिए बसें चलती हैं। मनाली से नजदीकी रेलवे स्टेशन 162 दूर बैजनाथ में है, जहां तक पठानकोट से छोटी लाइन से पहुंचा जा सकता है। यहां से मनाली जाने के लिए आप सड़क मार्ग का सहारा ले सकते हैं। मनाली जाने के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ से बसें चलती हैं। दिल्ली से मनाली की दूरी करीब 540 किलोमीटर है।
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(Religious Places from The Himalayan Diary)
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