उत्तराखंड के इस प्रसिद्द ऐतिहासिक धार्मिक स्थल का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है। किसी समय में इस स्थल पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार से 14 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थान कण्वाश्रम (Kanvashram) है। हेमकूट और मणिकूट पर्वतों की गोद में कण्वाश्रम का ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्व है। इस धार्मिक स्थल को कण्व ऋषि की तपस्थली और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली माना जाता है। इसी महान पराक्रमी राजा के नाम से हमारे देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।
एक समय इस स्थल का महत्व कुंभ नगरी हरिद्वार से भी ज्यादा हुआ करता था। प्राचीन समय में पवित्र धार्मिक स्थल बदरीनाथ धाम और केदारनाथ धाम यात्रा की शुरुआत कण्वाश्रम से शुरू हुआ करती थी। इसके अलावा मालिनी नदी के तट पर स्थित कण्वाश्रम में तीर्थ श्रद्धालुओं का महाकुंभ भी हुआ करता था। मालिनी नदी का जिक्र हजारों वर्ष पूर्व पौराणिक युग में भी मिलता है। कण्वाश्रम शिवालिक की तलहटी में मालिनी नदी के दोनों तटों पर स्थित छोटे-छोटे आश्रमों का प्रख्यात विद्यापीठ था। यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा थी। हर वर्ष ‘बसंत पंचमी’ के अवसर पर कण्वाश्रम में तीन दिन तक मेला चलता है।
कण्वाश्रम (Kanvashram) कण्व ऋषि का वही आश्रम है, जहां राजा दुष्यन्त तथा शकुंतला के पुत्र भरत का जन्म हुआ था। शकुंतला ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी। पौराणिक कथा के अनुसार अप्सरा मेनका अपनी पुत्री को कण्वाश्रम के पास जंगल में छोड़ गई। जब ऋषि कण्व ने नवजात कन्या को शाकुंत पक्षियों से घिरे हुए देखे तो उसे अपने आश्रम ले आए और उसका नाम शकुंतला रखा। एक दिन महाराजा दुष्यंत इस क्षेत्र में आए तो वह शकुंतला की खूबसूरती और संस्कारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शकुंतला से गंधर्व विवाह किया। कुछ समय पश्चात शकुंतला ने एक तेजस्वी बालक भरत को जन्म दिया, जिसका बचपन कण्वाश्रम में शेर के बच्चों के बीच खेलते हुए बिता। बड़े होने पर भरत ने एक विशाल भूखंड पर राज किया।
कैसे पहुंचें Kanvashram
यह पवित्र स्थल पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार शहर से 14 किलोमीटर की दूरी पर है। कोटद्वार से कण्वाश्रम जाने के लिए बस, टैक्सी या अन्य स्थानीय यातायात की सुविधायें उपलब्ध हैं। कण्वाश्रम से नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार में स्थित है। कोटद्वार रेल मार्ग द्वारा दिल्ली सहित कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कण्वाश्रम से नजदीकी हवाई अड्डा 122 किलोमीटर दूर देहरादून में है। कोटद्वार बसों के माध्यम से दिल्ली, चंडीगढ़, हरिद्वार, देहरादून सहित कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
Uttarakhand के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:
- हरिद्वार के नील पर्वत पर स्थित है प्रसिद्द शक्तिपीठ चंडी देवी मंदिर
- भगवान शिव को पाने के लिए हरिद्वार के इस स्थान पर माता पार्वती ने की थी तपस्या
- युधिष्ठिर ने की थी लाखामंडल मंदिर की स्थापना, यहां पुनः जीवन मिलने की है मान्यता
Web Title ashram-of-kanva-rishi-kanvashram
(Religious Places from The Himalayan Diary)
(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)